2 साल पुराने अंधे कत्ल के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा
तत्कालीन बहोड़ापुर थाना प्रभारी डॉ संतोष यादव की मेहनत का परिणाम
बहोड़ापुर थाना क्षेत्र में घटित एक अंधे कत्ल के केस को पुलिस के लिए चुनौती माना जा रहा था, थाना प्रभारी डॉ. संतोष यादव ने न केवल इसे सुलझाया, बल्कि मजबूत विवेचना के बलबूते न्यायालय से आजीवन कारावास की सजा भी आरोपी को दिलाई। इस केस की चर्चा अब पुलिस महकमे में हो रही है। वो भी एक ऐसे केस के रूप में जो सिर्फ अनुभव, धैर्य और बारीक कानूनी पकड़ से हल हो सकता था। इस अंधे कत्ल में शुरुआती दौर में ना तो कोई आरोपी सामने था और ना ही सुराग थे
लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी डॉ. संतोष यादव ने इसे प्रतिष्ठा का विषय बनाते हुए जांच का ऐसा ताना-बाना बुना, जिसकी मिसाल अब ट्रेनिंग सेंटरों में दी जा सकती है।
डॉ. संतोष यादव की विवेचना बनी मिसाल
थाना प्रभारी डॉ. यादव ने साक्ष्यों की कड़ियों को जोड़ते हुए न सिर्फ मृतक की पहचान करवाई, बल्कि तकनीकी विश्लेषण, और मूक गवाहों की मदद से आरोपी तक पहुंच बनाई। यह पूरी प्रक्रिया बेहद बारीकी से की गई, ताकि कोर्ट में मामला टिक सके — और अंततः यही हुआ।
जुर्म साबित, आरोपी को उम्रकैद की सजा
ग्वालियर कोर्ट ने हाल ही में इस केस में आरोपी को उम्रकैद (आजीवन कारावास) की सजा सुनाई, जो इस बात का प्रमाण है कि थाना प्रभारी की विवेचना में कोई कसर नहीं छोड़ी गई थी।
वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन और समर्थन
इस उपलब्धि के पीछे ग्वालियर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन भी अहम रहा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, और नगर पुलिस अधीक्षक सभी ने इस केस को प्राथमिकता दी और थाना प्रभारी को पूरा फील्ड व लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान किया।
हरा पेपर बना पहचान।
इस केस को अब पुलिस विभाग में “हरा पेपर केस” के नाम से जाना जा रहा है — यानी वो केस जो पेपर पर हल नहीं होता, बल्कि जमीनी समझ, कानूनी पकड़ और फील्ड वर्क से हल होता है। डॉ. संतोष यादव की यह कार्यशैली अब युवा थाना प्रभारियों के लिए एक आदर्श बन चुकी है।
जनता का विश्वास, विभाग का सम्मान
इस केस ने न केवल पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाया, बल्कि जनता में पुलिस के प्रति विश्वास और बढ़ाया है। डॉ. संतोष यादव जैसे अधिकारी ही इस दौर में सच में ‘जनसेवा’ की परिभाषा गढ़ रहे हैं।