पहले अतुल सुभाष… फिर पुनीत खुराना… और अब सुरेश साथदिया… बीते एक महीने में सुसाइड के इन तीन चर्चित मामलों में देश को हिलाकर रख दिया है। आत्महत्या के इन तीनों ही मामलों में एक बात कॉमन थी और वो ये कि तीनों ने ही पत्नी पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया।
क्या है तीनों आत्महत्याओं की कहानी?
– अतुल सुभाष केसः सबसे पहले अतुल सुभाष का केस सामने आया। उन्होंने 9 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड से पहले अतुल ने एक लगभग डेढ़ घंटे का वीडियो पोस्ट किया था। 24 पन्नों का सुसाइड नोट भी छोड़ा था। अतुल ने इसमें आरोप लगाया कि उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार वाले किसी न किसी बहाने से पैसे मांगते थे। अतुल ने ये भी आरोप लगाया कि निकिता ने उनपर कई सारे केस भी दर्ज करवा रखे थे। उन्होंने अपनी मौत के लिए निकिता और उसके परिवार वालों को जिम्मेदार ठहराया था।
– पुनीत खुरानाः दिल्ली में एक कैफे चलाने वाले पुनीत ने 31 दिसंबर को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उनका और उनकी पत्नी मनिका पहवा के बीच तलाक की प्रक्रिया जारी थी। दोनों पति-पत्नी होने के साथ-साथ बिजनेस पार्टनर भी थे। पुनीत के परिवार वालों ने मनिका पर पुनीत को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। पुनीत की बहन ने दावा किया कि कारोबार का बंटवारा हो गया था और मनिका फिर भी अपना हिस्सा मांग रही थी।
– सुरेश साथदियाः गुजरात के बाटोद जिले के रहने वाले सुरेश ने 30 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी। बताया जा रहा है कि सुरेश और उनकी पत्नी जया के बीच अनबन चलती रहती थी। जया मायके चली गई थी और वापस लौटने से मना कर दिया था। इसके बाद सुरेश ने फांसी लगाकर जान दे दी। मरने से पहले सुरेश ने एक वीडियो भी बनाया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘ऐसा सबक सिखाना कि उसे जिंदगीभर याद रहे। वो न मेरी थी और न बच्चों की। उसने मुझे धोखा दिया और मरने के लिए मजबूर किया।’
शादी से परेशान होकर कितनी आत्महत्याएं?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट बताती है कि 2022 में आत्महत्या के 1.70 लाख मामले सामने आए थे। इनमें से 1.22 लाख पुरुष और 48,172 महिलाएं थीं।
NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में कुल 8,164 लोगों ने शादी से जुड़ी परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। इनमें 4,237 पुरुष और 3,926 महिलाएं थीं। यानी, शादी से जुड़ी परेशानियों से तंग आकर जितने लोगों ने सुसाइड की, उनमें लगभग 52 फीसदी पुरुष थे।
क्या पति भी झेलते हैं पत्नी की हिंसा?
2019-2021 के बीच हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) में सामने आया था कि देश की 10 फीसदी महिलाओं ने कभी न कभी अपने पति पर हाथ उठाया था। सर्वे के नतीजों से पता चला था कि 11 फीसदी महिलाएं ऐसी थीं, जिन्होंने बीते एक साल में पति के साथ हिंसा की थी।
इसी सर्वे में सामने आया था गांवों में रहने वाली महिलाएं शहरी महिलाओं की तुलना में पति पर ज्यादा हिंसा करती हैं। शहरी इलाकों में रहने वालीं 3.3 फीसदी महिलाओं ने पति के साथ मारपीट की थी। जबकि, गांवों में रहने वालीं 3.7 फीसदी महिलाओं ने अपने पति को पीटा था।
पति क्या कर सकता है?
जून 2021 में मद्रास हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई के दौरान कहा था कि ‘ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि पति के पास पत्नी के खिलाफ शिकायत करने के लिए घरेलू हिंसा जैसा कानून नहीं है।’ घरेलू हिंसा कानून से सिर्फ महिलाओं को ही सुरक्षा मिली है।
अगर पत्नी किसी भी तरह से पति को प्रताड़ित कर रही है तो हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13 के तहत तलाक मांग सकता है। ये धारा कहती है कि अगर दूसरा पक्ष क्रूरता कर रहा है या फिर शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है, तो तलाक लिया जा सकता है। इसके अलावा, अगर पत्नी बिना बताए घर छोड़कर चली जाती है तो इसी कानून की धारा 9 के तहत जिला अदालत में अर्जी दे सकता है और मांग कर सकता है कि अदालत पत्नी को घर वापस आने का आदेश दे। इसी धारा में प्रावधान है कि घर छोड़ने वाले बताने को सबूत देना पड़ता है कि उसने घर क्यों छोड़ा था।
इतना ही नहीं, तलाक के बाद पत्नी की तरह ही पति भी गुजारा-भत्ता और भरण पोषण के लिए दावा कर सकता है। क्योंकि कानून में कहीं ऐसा जिक्र नहीं है कि गुजारा भत्ता और भरण पोषण का दावा सिर्फ पत्नी ही करेगी। अगर पति की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वो अपना गुजारा नहीं कर सकता और पत्नी सक्षम है तो अदालत पति के लिए भी गुजारा भत्ता और भरण पोषण की व्यवस्था कर सकती है।
दहेज का झूठा केस दर्ज हो तो क्या करे पति?
महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े दो कानून- दहेज निषेध कानून और IPC की धारा 498A पर अदालतें कई बार सवाल उठा चुकी हैं। IPC की धारा 498A महिलाओं को क्रूरता से बचाती है। अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) में धारा 85 और 86 में इसका प्रावधान किया गया है। इन पर सवाल इसलिए उठते हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों में आरोप या तो साबित नहीं हो पाते या फिर समझौता हो जाता है।
अगर पत्नी दहेज प्रताड़ना या क्रूरता का आरोप लगाते हुए केस दर्ज करवाती है तो पति भी BNS की धारा 227 के तहत केस दर्ज करवा सकता है। अगर पति को लगता है कि उसकी पत्नी या रिश्तेदार उसके खिलाफ अदालत या पुलिस में झूठे सबूत पेश कर रहा है तो वो ये दावा करते हुए केस दर्ज करवा सकता है कि उसके खिलाफ दिए जा रहे सबूत झूठे हैं।
अगर पत्नी अपने पति को या उसके परिवार को या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देती है तो बीएनएस की धारा 351 के तहत केस दर्ज करवाया जा सकता है।
इतना ही नहीं, अगर पत्नी दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए आईपीसी की धारा 498A यानी बीएनएस की धारा 85 के तहत झूठा केस करती है, तो पति पत्नी के खिलाफ केस कर सकता है और दहेज प्रताड़ना के सबूत पेश करने की मांग कर सकता है।